हमको जिंदगी भर बस काम मिला है,
खुशामदीदों को इनाम मिला है।
जो फुटपाथ पर थे वो अब भी वहीं हैं,
महल वालों को एक और मकान मिला है।
क्या कमी रह गयी हमारे सृजन हमारी परवरिश में,
यही मुद्दा लेकर आज अल्लाह से भगवान मिला है।
आज जिंदगी का मायना समझ आया,
पुराने अस्पताल की खुदाई में शमशान मिला है।
कल तलक जो हमसे नज़रें भी चुराता था वही,
वक़्त देख कर आज सरेआम मिला है।
जिसने सज़ा दी थी मौत की उस गुनाहगार को कल,
उसी 'क़लम' को आज क़त्ल का इल्जाम मिला है।
....................................अम्बुज पांडेय
खुशामदीदों को इनाम मिला है।
जो फुटपाथ पर थे वो अब भी वहीं हैं,
महल वालों को एक और मकान मिला है।
क्या कमी रह गयी हमारे सृजन हमारी परवरिश में,
यही मुद्दा लेकर आज अल्लाह से भगवान मिला है।
आज जिंदगी का मायना समझ आया,
पुराने अस्पताल की खुदाई में शमशान मिला है।
कल तलक जो हमसे नज़रें भी चुराता था वही,
वक़्त देख कर आज सरेआम मिला है।
जिसने सज़ा दी थी मौत की उस गुनाहगार को कल,
उसी 'क़लम' को आज क़त्ल का इल्जाम मिला है।
....................................अम्बुज पांडेय