अच्छा लगने लगा
वो जो हमेशा मेरे पास रहा करते थे,
उन्हें मुझसे अब दूर जाना अच्छा लगने लगा,
जो मुझे एक पल भी उदास नहीं देख सकते थे,
उन्हें मेरा दिल अब दुखाना अच्छा लगने लगा,
दुनिया में एक पहचान बनाने मैं चला था,
सनम मेरा जब मेरे साथ में खड़ा था,
सबसे मैं पहले खुल क बातें करता था,
अब खुद से ही सब बोल जाना अच्छा लगने लगा,
ख़ुशी मुझसे अब जैसे रूठ सी गयी हो,
जीने कि आस जैसे छूट सी गयी हो,
रातों को तकिया भीगती है आंसुओं से,
और दिन का उदाशी में गुजर जाना अच्छा लगने लगा।
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